Sandeep Newz Fast, New Delhi, Personal Loan : अकसर लोग जब पैसों की जरूरत होती है तो लोन लेते हैं। जिसके लिए किसी बैंक या फिर पर्सनल किसी से लोन लेते हैं। इसमें आप पर्सनल लोन अगर किसी से लेते हैं तो RBI ने इसको लेकर अब नियम कड़े कर दिए हैं। जिसमें अगर आप भी पर्सनल लोन लेते हैं तो आपको ये जानना जरूरी है। पर्सनल लोन के नियमों में बदलाव से लाखों लोगों पर असर पड़ा है।
लोन एक ऐसा जरिया है जो कि आपको समय सिर आर्थिक मुसीबत से बाहर निकालता है। लोन के होते हुए आपको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नही है। अगर आप भी अपनी वित्तिय जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन का सहारा लेते है या फिर लेने का सोच रहे है तो ये खबर आपके बेहद काम की है। अगर आप पर्सनल लोन (Personal Loan rules) और क्रेडिट कार्ड (Credit Card loan) का सहारा लेते हैं तो जान लें कि आरबीआई ने पर्सनल लोन को लेकर नियम सख्त कर दिए है।
भारतीय बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs loan) क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे अनसिक्योर्ड लोन (Unsecured Loan rules) जारी करते हैं। हालांकि अब क्रेडिट कार्ड बनवाना और पर्सनल लोन लेना मुश्किल हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India new rules for home loan) ने कुछ नियमों को सख्त कर दिया है। आरबीआई ने बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी के अनसिक्योर्ड लोन पोर्टफोलियों से जुड़े नियमों को टाइट किया है।
RBI ने बना दिया ये कड़ा नियम –
पर्सनल लोन को लेकर हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI new rules) ने एक रिलीज जारी की। भारतीय रिजर्व बैंक ने इसमें कहा कि अब बैंकों और नॉन बैंकिंग कंपनियों को अनसिक्योर्ड लोन (unsecured loan) पोर्टफोलियो के लिए ज्यादा पूंजी अलग रखने की आवश्यकता होगी।
यह पूंजी पहले से 25 फीसदी ज्यादा होगी। जहां पहले 100 फीसदी अलग पूंजी रखी जाती थी, वहीं अब बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (non banking finance companies) को 125 फीसदी कैपिटल अलग रखने की जरूरत होगी।
मान लीजिए बैंक ने 5 लाख रुपये का पर्सनल लोन (personal loan) दिया तो उसे पहले 5 लाख रुपये ही अलग रखने पड़ते थे, लेकिन अब बैंक को 25 फीसदी ज्यादा 6 लाख 25 हजार रुपये अलग रखना होगा।
डिफाल्टर के मामले बढ़ने से हुई समस्या –
आज कल के समय में लोग खुलकर इन सुविधाओं का लाभ लेने लगे है। पिछले कुछ समय में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड में तेज ग्रोथ देखी गई (credit card and personal loan) है। पिछले साल बैंक लोन ग्रोथ को अनसिक्योर्ड लोन ने बड़े मार्जिन से पीछे छोड़ दिया था।
खासकर क्रेडिट और पर्सनल लोन में असमान्य बढ़ोतरी देखी गई। पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड की संख्या में तो इजाफा हुआ ही है, लेकिन वहीं डिफॉल्ट (loan default) के मामले भी ज्यादा आते जा रहे है और समय पर पेमेंट के मामले कम हुए। ऐसे में आरबीआई ने इस तरह के लोन के नियम को सख्त किया है ताकि लोन डिफॉल्ट को कम किया जा सके।
ग्राहकों को लोन लेने में आएगी दिक्कत –
सब के मन में ये सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर केंद्रीय बैंक के द्वारा ऐसा फैसला क्यो लिया गया होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के इस लोन नियम से बैंकों और गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को ज्यादा कैपिटल अलग से रखने होंगे।
इसका मतलब है कि बैंकों और गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को अनसिक्योर्ड लोन (unsecured loan types) के लिए कम पैसे बचेंगे, जिस कारण ग्राहकों को इस तरह के लोन लेने में समस्या आ सकती है। साथ ही बैंक और एबीएफसी कुछ क्राइटेरिया भी तय कर सकते हैं। सुधार के लिए ही केंद्रीय बैंक ने ये कदम उठाए है।